औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जुलाई में सुस्त पड़कर चार माह के निचले स्तर 2.4 प्रतिशत पर

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IIP Data : औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जुलाई में सुस्त पड़कर चार माह के निचले स्तर 2.4 प्रतिशत पर पहुंच गई. अप्रैल में आईआईपी की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत, मई में 19.6 प्रतिशत और जून में 12.7 प्रतिशत थी.

IIP Data

IIP Data : विनिर्माण, बिजली और खनन जैसे क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन के कारण देश में औद्योगिक उत्पादन (IIP) की वृद्धि दर जुलाई में सुस्त पड़कर चार महीने के निचले स्तर 2.4 प्रतिशत पर आ गई.

एक साल पहले जुलाई, 2021 के दौरान औद्योगिक उत्पादन 11.5 प्रतिशत बढ़ा था. 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की तरफ से सोमवार को जारी औद्योगिक उत्पादन (IIP) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली. 

आंकड़ों के अनुसार, इस साल मार्च में औद्योगिक उत्पादन में 2.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी और यह पिछला सबसे निचला स्तर था. वहीं, अप्रैल में आईआईपी की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत, मई में 19.6 प्रतिशत और जून में 12.7 प्रतिशत थी.

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आधार पर मापा जाने वाला औद्योगिक उत्पादन, जुलाई 2021 में 11.5 प्रतिशत बढ़ा था.

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में इस साल जुलाई में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई. पिछले साल इसी महीने में यह 10.5 प्रतिशत बढ़ा था.

बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई में 2.3 प्रतिशत रही. जुलाई 2021 में इसमें 11.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

खनन क्षेत्र की वृद्धि दर में जुलाई के दौरान 3.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि एक साल पहले जुलाई में इसमें 19.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

इस तरह चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों यानी अप्रैल-जुलाई में आईआईपी 10 प्रतिशत बढ़ा है. जबकि एक साल पहले की समान अवधि में औद्योगिक उत्पादन 33.9 प्रतिशत बढ़ा था.

निवेश को प्रतिबिंबित करने वाला पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में जुलाई, 2022 के दौरान 5.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई. यह जून, 2021 में 30.3 प्रतिशत बढ़ा था.

वहीं, टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र में वृद्धि दर जुलाई महीने में 2.4 प्रतिशत रही, जबकि एक साल पहले समान महीने में इसमें 19.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

इसके अलावा प्राथमिक वस्तुओं के मामले में वृद्धि जुलाई में 2.5 प्रतिशत रही. पिछले वर्ष के इसी महीने में इसमें 12.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. सूचकांक में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 34 प्रतिशत है.

मंत्रालय ने कहा कि आंकड़ों का विश्लेषण मार्च, 2020 से कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न आसामान्य स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए.

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