क्या आप जानते हैं कि रोहतांग दर्रा ‘लाशों का मैदान’ भी कहा जाता है. यह दर्रा हिमाचल प्रदेश में लाहौल और स्पीति घाटी का प्रवेश द्वार है. रोहतांग नाम का दर्रा 3980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
क्या आप जानते हैं कि रोहतांग दर्रा ‘लाशों का मैदान’ भी कहा जाता है. यह दर्रा हिमाचल प्रदेश में लाहौल और स्पीति घाटी का प्रवेश द्वार है. रोहतांग नाम का दर्रा 3980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. दर्रा हिमालय के पीर पंजाल श्रेणी के पूर्व दिशा में है. जिसकी दूरी मनाली से 51 किलोमीटर है. यहां घूमने का सबसे अच्छा वक्त मई से अक्टूबर के बीच है. यहां बिना भारतीय सेना की अनुमति के सैलानी नहीं जा सकते हैं.
पूरे साल बर्फ से ढंका रहता है यह हिल स्टेशन
रोहतांग दर्रा पूरे कुल्लू क्षेत्र में सबसे शानदार स्थलों में से एक है. यह सुरम्य दर्रा मनाली से लगभग 51 किलोमीटर दूर स्थित है. यह इतनी खूबसूरत जगह है कि देश के कोने-कोने से लोग यहां स्कीइंग, आइस-स्केटिंग, पैराग्लाइडिंग आदि साहसिक खेलों में भाग लेने के लिए आते हैं. सबसे खास बात है कि यहां आप गर्मियों में भी बर्फ देख सकते हैं. यहां आप भारतीय सेना द्वारा अनुमति लेकर ही जा सकते हैं. रोहतांग पास पीर पंजाल रेंज के अंतर्गत आता है. यह हिल स्टेशन पूरे साल बर्फ की चादर से ढका रहता है.
यहां की प्राकृतिक खूबसूरती और मनोरम दृश्य सैलानियों के जेहन में बस जाते हैं और उनके दिल में उतर जाते हैं. यही वजह है कि सैलानी इस हिल स्टेशन को बार-बार देखना चाहते हैं. रोहतांग नाम का अर्थ है ‘लाशों का मैदान’. यह नाम इस पर्वत श्रृंखला को पार करते हुए अपनी जान गंवाने वाले लोगों की वजह से पड़ा है. यह दर्रा देखने में बेहद आकर्षक है. यहां काफी भूस्खलन होता रहता है, जिस कारण अक्सर रास्ते भी ब्लॉक रहते हैं. यह दर्रा पूरे साल खुला नहीं रहता है. बर्फबारी एवं हिमस्खलन के कारण यह दर्रा नवंबर से अप्रैल महीने तक बंद रहता है.