BCCI के नए संविधान के मुताबिक उसके पदाधिकारी बोर्ड में 6 साल सेवा करने के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाएंगे, जिसके तहत वे किसी भी पद पर नहीं रह सकते हैं. लेकिन बोर्ड ने इसे खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के कामकाज पर सुप्रीम कोर्ट आज एक बड़ा फैसला ले सकता है. बीसीसीआई के अधिकारियों ने अदालत में याचिका दी है कि वह नए संविधान में बना कूलिंग ऑफ पीरियड का नियम को खत्म कर दे, जिससे पूर्व कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और उसके सचिव जय शाह (Jay Shah) समेत अन्य अधिकारी बोर्ड से बाहर न होकर अपने पदों पर बने रह सकें. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर 13 सितंबर यानी मंगलवार दोपहर को सुनवाई का निर्णय लिया है.
बता दें बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में सौरव गांगुली का कार्यकाल सितंबर में समाप्त होने वाला है. वह बंगाल क्रिकेट संघ (CAB) में भी पदाधिकारी रह चुके हैं, जबकि शाह बीसीसीआई से पहले गुजरात क्रिकेट संघ में पदाधिकारी थे.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने बीसीसीआई की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह इस मामले के साथ-साथ क्रिकेट बोर्ड के कामकाज से जुड़े अन्य मामलों पर मंगलवार दोपहर को सुनवाई करेंगे.
सर्वोच्च अदालत ने सीनियर एडवोकेट पीएस नरसिम्ह के जस्टिस के रूप में प्रमोशन होने के बाद सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया है. कोर्ट ने सिंह को इससे जुड़ी अर्जियों को एकत्र कर अदालत के समक्ष पेश करने के लिए कहा है.
बता दें सौरव गांगुली और जय शाह ने तीन साल पहले अक्टूबर 2019 में बीसीसीआई के अध्यक्ष और सचिव के तौर पर जिम्मेदारी संभाली थी. सौरव गांगुली के नेतृत्व में बोर्ड ने कई अहम फैसले लिए हैं. इनमें महिलाओं के आईपीएल की शुरुआत, पुरुष आईपीएल में टीमों की संख्या बढ़ाने, घरेलू क्रिकेटरों की मैच फीस बढ़ाने जैसे कई अहम फैसले अपने कार्यकाल में लिए हैं.