Diabetes Control: 6-19 साल की उम्र में शुगर का स्तर कितना होना चाहिए? देखिए चार्ट

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अगर बच्चों की समय-समय पर शुगर चेक की जाए तो बच्चों को डायबिटीज की वजह से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।

6-12 साल की उम्र में बच्चों की फास्टिंग शुगर – 80 से 180 mg/dl,पोस्ट प्रैंडियल शुगर – 140 mg/dL और रात में खाने के बाद – 100 से 180 mg/dl होनी चाहिए। photo-freepik

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रही है। देश और दुनिया में डायबिटीज के मरीजों की तादाद में इज़ाफा हो रहा है। नौबत यहां तक पहुंच गई है कि अब कम उम्र के बच्चे भी डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। भारत समेत दुनिया भर के बच्चों में पिछले बीस सालों में टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मामले बढ़े हैं।

बच्चों में डायबिटीज तब होती है जब पैंक्रियाज पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता। बच्चों में डायबिटीज होने के कई कारण हैं जैसे खराब खान-पान, निष्क्रिय जीवन शैली, मोटापा और फैमिली हिस्ट्री बच्चों को भी शुगर का मरीज बना रही है।

बच्चों को टाइप-1 और टाइप-2 दोनों तरह की डायबिटीज हो सकती है। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के बच्चों में एक जैसे लक्षण दिखते हैं जिन्हें समय पर पहचानने की जरूरत होती है। डायबिटीज से पीड़ित बच्चे को व्यस्कों की तुलना में ज्यादा केयर की जरूरत होती है। अगर बच्चों की समय-समय पर शुगर चेक की जाए तो बच्चों को डायबिटीज की वजह से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि 6-19 साल की उम्र में बच्चों में शुगर का स्तर कितना होना चाहिए?

बच्चों में खाली पेट और खाकर शुगर कितना होना चाहिए:

शरीर में नॉर्मल ब्लड शुगर की मात्रा 90 से 100 mg/dL के बीच होती है लेकिन जब आप कुछ खा चुके होते हैं तो इसका स्तर बढ़कर 140 mg/dl हो सकता है।

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6-12 साल की उम्र में ब्लड शुगर लेवल कितना होना चाहिए:

फास्टिंग शुगर – 80 से 180 mg/dl
पोस्ट प्रैंडियल शुगर – 140 mg/dL
रात में खाने के बाद – 100 से 180 mg/dl

13 साल से 19 साल की उम्र में ब्लड शुगर लेवल

फास्टिंग ब्लड शुगर – 70 से 150 mg/dl
पोस्ट प्रैंडियल ब्लड शुगर – 140 mg/dl
रात में खाने के बाद – 90 से 150 mg/dl

ब्लड शुगर बढ़ने पर बच्चों में दिख सकते हैं ये लक्षण:

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चों के ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने पर बच्चे को थकावट, तनाव, सिर दर्द, आंखों की रोशनी धुंधली होना, वजन घटना, ध्यान केंद्रित न कर पाना, लगातार पेशाब आना, बार-बार प्यास लगना और सिर दर्द जैसी परेशानी हो सकती है। शुगर को कंट्रोल नहीं किया जाए तो उसके जोखिम भी हो सकते हैं। शुगर बढ़ने पर दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक, किडनी फेलियर और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर का खतरा बढ़ सकता है।

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