क्या केंद्र सरकार ने प. बंगाल, तमिलनाडु, केरल से किया भेदभाव? समझें गणतंत्र दिवस की झांकी कैसे चुनी जाती है

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Republic Day 2022 : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपने राज्यों की झांकियों को हटाए जाने को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। केंद्र सरकार के सूत्रों ने इसे गलत परम्परा करार दिया है। सूत्रों ने स्पष्ट किया कि झांकियों का चयन केंद्र सरकार नहीं, बल्कि विशेषज्ञ समिति करती है।

नई दिल्ली
गणतंत्र दिवस परेड में अपने-अपने राज्य की झांकियां शामिल नहीं किए जाने को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आपत्ति दर्ज कराई। पश्चिम बंगाल की झांकी को शामिल नहीं किए जाने पर हैरानी जताते हुए बनर्जी ने कहा कि इस तरह के कदम से उनके राज्य के लोग दुखी होंगे। वहीं, स्टालिन ने कहा कि झांकी को हटाने से तमिलनाडु के लोग आहत होंगे और देशभक्ति की भावना को गहरी ठेस पहुंचेगी। केरल में भी कई राजनेताओं ने राज्य की झांकी को शामिल नहीं करने के लिए केंद्र की आलोचना की है।
बंगाल, तमिलनाडु, केरल के ही नहीं 35 प्रस्ताव हुए खारिज
उधर, केंद्र सरकार के सूत्रों ने झांकियों को गणतंत्र दिवस परेड में जगह नहीं मिलने पर दोषारोपण की परंपरा को गलत करार दिया है। सूत्रों ने स्पष्ट किया कि झांकियों का चयन केंद्र सरकार नहीं, बल्कि विशेषज्ञ समिति करती है। सूत्रों ने कहा, ‘केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के प्रस्तावों को ‘विषय विशेषज्ञ समिति’ ने उचित प्रक्रिया अपनाने और विचार-विमर्श के बाद खारिज किया है।’ उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से 56 प्रस्ताव आए थे तथा उनमें से 21 का चयन किया गया है। यानी, सिर्फ प. बंगाल, तमिलनाडु और केरल की झांकियां ही नहीं बल्कि कुल झांकियों के कुल 35 प्रस्ताव खारिज हुए हैं। आइए गणतंत्र दिवस परेड में किसी झांकी को शामिल करने या उसे खारिज करने की क्या प्रक्रिया है, इसे विस्तार से समझते हैं…

4 महीने पहले शुरू हुई झांकियों की चयन प्रक्रिया
ध्यान रहे कि गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजक रक्षा मंत्रालय होता है। वह परेड से संबंधित सभी तरह व्यवस्था करता है। झांकियों की चयन प्रक्रिया की जिम्मेदारी भी उसी की होती है। हर वर्ष झांकियों की चयन प्रक्रिया की शुरुआत रक्षा मंत्रालय की तरफ से केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, संगठनों, चुनाव आयोग जैसी स्वतंत्र एजेंसियों के साथ-साथ राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखने से होती है। रक्षा मंत्रालय की इस चिट्ठी में उस वर्ष की झांकियों के विषयों और निर्धारित शर्तों का स्पष्ट उल्लेख होता है। इस वर्ष भी झांकी के लिए भी रक्षा मंत्रालय ने 16 सितंबर 2021 को चिट्ठी जारी की थी।

रक्षा मंत्रालय की इस वर्ष की चिट्ठी क्या कहती है
इसलिए, इधर-उधर की बात नहीं करते हुए रक्षा मंत्रालय की इसी चिट्ठी में वर्णित बातों का उल्लेख करते हैं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए कि केंद्र सरकार ने वाकई में दुर्भावना से प. बंगाल, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों की झाकियों को छांट दिया या केंद्र पर आरोप लगाने वाले नेताओं के इरादों में खोंट है। रक्षा मंत्रालय इस वर्ष की झांकियों का प्रस्ताव मंगाने के लिए पिछले साल सितंबर में जो चिट्ठी लिखी थी, उसके तीसरे बिंदु में स्पष्ट कहा गया है, ‘सीमित समय के कारण मंत्रालय कुछ प्रस्तावों को ही शामिल कर पाएगा। मंत्रालय परेड में भाग लेने वाली तीन सर्वोत्तम झांकियों को ट्रॉफी भी देगा।’ यानी, झांकियों के सभी प्रस्तावों का चयन तो संभव ही नहीं है, यह चिट्ठी में ही स्पष्ट कर दिया गया है।

इस वर्ष गणतंत्र दिवस झांकियों की थीम India@75
जहां तक बात किसी झांकी को चुनने या छांटने की प्रक्रिया की है तो रक्षा मंत्रालय ने जो चिट्ठी लिखी है, उसमें कहा है कि झांकियों की चयन प्रक्रिया बेहद जटिल है जिसमें बहुत वक्त लगता है। इसमें कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय सर्वोत्तम प्रस्तावों के चयन के लिए कला के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिष्ठित शख्सियतों की एक समिति बनाता है ताकि समय रहते झांकियों की चयन प्रक्रिया की शुरुआत हो जाए। मंत्रालय की चिट्ठी में इस वर्ष के गणतंत्र दिवस की झांकियों का थीम भारत की आजादी के 75 वर्ष (India @75) रखा है। इसके तहत पांच विषयों पर झांकियों का प्रस्ताव मांगा गया था-

1. भारत की आजादी के 75 वर्ष- स्वतंत्रता आंदोलन (India@75 Freedom Struggle)
2. आजादी के 75 वर्ष- विभिन्न विचार (Ideas @75)
3. आजादी के 75 वर्षों में हासिल उपलब्धियां (Achievements @75)
4. आजादी के 75 वर्ष के कार्य (Actions @75)
5. आजादी के 75 वर्ष के संकल्प (Resolve @75)

इन विषयों पर आधारित झांकियों के निर्माण को लेकर भी विस्तृत निर्देश दिए गए हैं। इसमें कहा गया है-

⮞ झांकी निर्माण की प्रक्रिया में प्रतिष्ठित संस्थाओं के योग्य युवा डिजाइनरों को शामिल किया जाए
⮞ डिजाइनर झांकियों की कड़ाई से नियमित देखरेख (supervision) करें
⮞ तस्वीरें या वस्तुएं बिल्कुल साफ-साफ दिख जाएं, इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले वॉल्स (LED, HD, 4K आदि) का उपयोग करें
⮞ मेकाट्रोनिक्स/रोबोटिक्स जैसे मूविंग एलिमेंट्स का उपयोग करें
⮞ घने/छायादार हिस्से को दिखाने के लिए LED लाइटिंग का इनोवेटिव यूज करें
⮞ संगीत की आवाज संतुलित रखें
⮞ कुछ खास तत्वों के चित्रण के लिए 3D प्रिंटिंग का सहारा लें
⮞ झांकियों के लिए पर्यावरण अनुकूल वस्तुओं का उपयोग करें
⮞ परेड के बाद झांकियों को महत्वपूर्ण स्थान पर प्रदर्शित करने की संभावना पर विचार करें ताकि गाढ़ी मेहनत से तैयार रचना को कुछ और लोग निहार सकें
⮞ जहां तक संभव हो प्लास्टिक या प्लास्टिक निर्मित उत्पादों के उपयोग से बचें
⮞ ऑगमेंटेड रियेलिटी/वर्चुअल रियेलिटी जैसी तकनीकों का उपयोग करें
⮞ झांकी के ऑप्टिक्स/विजुअल इफेक्ट को शानदार बनाने के लिए स्पेशल इफेक्ट्स का यथासंभव उपयोग करें

समझें झांकी की विस्तृत चयन प्रक्रिया

रक्षा मंत्रालय की चिट्ठी में चयन प्रक्रिया की जाकारी भी विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है, ‘कला, संस्कृति, चित्रकारी, मूर्ति कला, संगीत, वास्तुकला, नृत्य आदि क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों की एक एक्सपर्ट कमिटी कई बैठकों में झांकियों के लिए मिले प्रस्तावों पर विचार करती है। पहले चरण के चयन में प्रस्तावों के स्केच/डिजाइन की छंटनी की जाती है और जरूरत पड़ने पर इनमें बदलाव के सुझाव दिए जाते हैं। स्केच/डिजाइन को अप्रूवल मिल जाने के बाद प्रस्ताव के थ्री-डाइमेंशनल मॉडल की मांग की जाती है। कमिटी इन मॉडलों के फाइनल सेलेक्शन के लिए विभिन्न पैमानों पर परखती है। प्रस्ताव भेजने वाले किसी भी भागीदार को एक से ज्यादा झांकी का पेश करने की अनुमति नहीं दी जाती है।’

इसमें कहा गया है, ‘किसी झांकी का चयन कई कारकों पर निर्भर करता है। चयन प्रक्रिया आम तौर पर अलग-अलग दिन आयोजित छह-सात या इससे भी ज्यादा बैठकों में पूरी होती है। हर बैठक में कुछ बदलाव के निर्देश दिए जा सकते हैं। उसी पर्टिसिपेंट को अगली मीटिंग में बुलाया जाता है जिसका प्रस्ताव पहले की मीटिंग में खारिज न किया गया हो। अगर कोई पर्टिसिपेंट मीटिंग में भाग नहीं लेता है तो यह मानकर कि उसने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया, उसे अगली मीटिंग का न्योता नहीं दिया जाता है।’

रक्षा मंत्रालय के पत्र में स्केच/डिजाइन को लेकर भी विस्तृत निर्देश दिए गए हैं। एक्सपर्ट कमिटी जब प्रस्तावित स्केच/डिजाइन को फाइनल अप्रूवल दे देती है तब सुझावों के आधार पर 3D मॉडल तैयार किया जाता है। जब 3D मॉडल को भी कमिटी का अप्रूवल मिल जाए तभी झांकी को परेड में शामिल किया जाता है, अन्यथा नहीं। यानी, मॉडल की स्वीकृति के बाद भी झांकी के छांटे जाने की आशंका बनी रहती है।

गणतंत्र दिवस, 2022 की झांकियों के प्रस्ताव के लिए रक्षा मंत्री की चिट्ठी
अब समझें, केंद्र पर आरोप लगाना कितना सही
अब जब इतने विस्तृत निर्देश निश्चित हैं तो इसमें केंद्र सरकार की मनमानी की गुंजाइश कहां बच जाती है? सबसे बड़ी बात है कि झांकी का चयन सरकार नहीं, समिति करती है जो विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियों से मिलकर बनती है। ऐसे में झांकी खारिज होने पर हंगाम करने वालों को समझना होगा कि वो केंद्र सरकार पर नहीं बल्कि विशेषज्ञ समिति पर आरोप लगा रहे हैं।

आरोप लगाने वाले इन तथ्यों पर क्या कहेंगे

वैसे भी 2016, 2017, 2019 और 2021 में पश्चिम बंगाल के झांकियों के प्रस्तावों को मंजूर किया गया था। 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में तमिलनाडु की झांकियों को भी शामिल किया गया था। वहीं, केरल के झांकी के प्रस्ताव को इसी प्रक्रिया के तहत 2018 और 2021 में मोदी सरकार में ही स्वीकार किया गया था। इतना ही नहीं, 2016 में भक्ती ओर सूफी आंदोलन पर आधारित गीत गाने वाले बंगाल के प्रसिद्ध बाउल लोक गायकों वाली झांकी को पुरस्कृत भी किया गया था। तब भी मोदी सरकार ही केंद्र में थी।

झांकियों के निष्पक्ष चयन के कुछ और सबूत

पिछले 20 वर्षों में जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, असम और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की झांकियों को सबसे ज्यादा गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का मौका मिला है। इसका एकमात्र कारण यह है कि उनकी झांकियां निर्धारित मानकों पर खरे उतरते रहे हैं। पिछले वर्ष 32 झांकियों का प्रदर्शन किया गया था जिनमें 17 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से थीं जबकि बाकी 15 झांकियां रक्षा मंत्रालय, सरकारी विभागों और अर्धसैनिक बलों की थीं। 2021 के गणतंत्र दिवस परेड में उत्तर प्रदेश की झांकी को पहला पुरस्कार मिला था। पिछले साल यूपी की झांकी में अयोध्या स्थित राम मंदिर की प्रतिकृति दिखाई गई थी। पिछले कुछ वर्षों में त्रिपुरा, असम, महाराष्ट्र जैसे राज्यों की झांकियों को भी पुरस्कारों से नवाजा गया है।

संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाते हैं ऐसे बेबुनियाद आरोप

केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक, इस वर्ष भी राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों की ओर से झांकियों के कुल 56 प्रस्ताव आए थे। इनमें से 21 का चयन किया गया है। सूत्रों ने कहा कि जाहिर है मंजूर की गई झांकियों की तुलना में निरस्त किए गए झांकियों के प्रस्ताव अधिक ही होंगे। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि तय मानकों के आधार पर चयन प्रक्रिया में झांकियों के छांटे जाने के मामले को ‘फ्लैशपॉइंट’ के रूप में चित्रित करने का राज्यों के मुख्यमंत्रियों का तरीका गलत है। यह देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने में बड़ा कारक है।

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