KhabriBaba
Business

खुदरा महंगाई बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंची, सुस्त पड़ गई औद्योगिक उत्पादन के वृद्धि की रफ्तार

Reading Time: 4 minutes

Retail Inflation : खुदरा महंगाई बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंच गई है. वहीं औद्योगिक उत्पादन के वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ गई है. महंगाई बढ़ने का प्रमुख कारण मानसूनी बारिश सामान्य नहीं होने से अनाज और सब्जियों के दाम में तेजी है.

खुदरा महंगाई बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंची, सुस्त पड़ गई औद्योगिक उत्पादन के वृद्धि की रफ्तार
Retail Inflation Latest Update

Retail Inflation : देश की अर्थव्यवस्था को सोमवार को दोहरा झटका लगा. एक तरफ खाने के सामान और ईंधन के महंगा होने से खुदरा महंगाई अगस्त में बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंच गयी, वहीं औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सुस्त पड़कर चार महीने के निचले स्तर 2.4 प्रतिशत पर आ गई.

इसके साथ, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति में तीन महीने से जारी गिरावट थम गयी है. खुदरा मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊंची बनी हुई है. इससे रिजर्व बैंक पर महंगाई को काबू में लाने के लिये नीतिगत दर बढ़ाने का दबाव पड़ेगा. 

सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई दर अगस्त में बढ़कर सात प्रतिशत पहुंच गयी जो जुलाई में 6.71 प्रतिशत और पिछले साल अगस्त में 5.3 प्रतिशत थी. 

महंगाई बढ़ने का प्रमुख कारण मानसूनी बारिश सामान्य नहीं होने से अनाज और सब्जियों के दाम में तेजी है.

देश में अचानक से गर्मी बढ़ने से उत्पादन प्रभावित होने के कारण गेहूं की मुद्रास्फीति पहले से दहाई अंक में है. वहीं कम मानसूनी बारिश के कारण धान की बुवाई का रकबा कम होने से उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है. इन दोनों कारणों से अनाज की महंगाई दर ऊंची बनी रहने की आशंका है.

केंद्रीय बैंक जब से मंहगाई को लक्ष्य में रखने की जिम्मेदारी लेकर चल रहा है, तब से यह दूसरी बार है जब खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के छह प्रतिशत की ऊपरी सीमा से लगातार आठवें महीने ऊपर बनी हुई है. इससे पहले अप्रैल, 2020 से नवंबर, 2020 के दौरान यह स्थिति देखने को मिली थी.

दूसरी तरफ, विनिर्माण, बिजली और खनन जैसे क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन के कारण देश में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर जुलाई में सुस्त पड़कर चार महीने के निचले स्तर 2.4 प्रतिशत पर आ गई. पिछले महीने जून में यह 12.7 प्रतिशत थी.

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में इस साल जुलाई में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो चार महीने का निचला स्तर है. बिजली क्षेत्र में 2.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो छह महीने का निचला स्तर है. खनन क्षेत्र में कोयला उत्पादन बढ़ने के बावजूद 16 महीने के अंतराल के बाद जुलाई में 3.3 प्रतिशत की गिरावट आई.

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आंकड़े बताते हैं कि आरबीआई को कितना काम करना है.

उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई के समक्ष चुनौती संतुलन बनाने की है. उसे पुनरुद्धार को प्रभावित किये बिना मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये आक्रामक रूप से नीतिगत दर बढ़ाने की जरूरत होगी.’’

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति सितंबर में मामूली बढ़कर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि खुदरा महंगाई दर अगले साल जनवरी में ही छह प्रतिशत के नीचे आएगी.

मजूमदार ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि आपूर्ति की स्थिति और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ मुद्रास्फीति 2023 में ही नरम होगी.

सरकार पहले ही गेहूं के आटे के निर्यात पर पाबंदी लगा चुकी है. हाल में चावल पर भी निर्यात शुल्क लगाया गया है. इससे अनाज के मामले में कीमत दबाव कम होने की उम्मीद है.

इंडिया रेटिंग्स ने कहा, ‘‘अनाज की महंगाई, मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट, वैश्विक स्तर पर जिंसों के ऊंचे दाम और सेवाओं की मांग में तेजी तथा प्राकृतिक गैस के दाम में 2022-23 की दूसरी छमाही में समीक्षा को देखते हुए परिदृश्य लगातार अनिश्चित बना हुआ है. इसको देखते हुए आरबीआई इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों 0.25 से 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है.’’

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अगस्त में 7.62 प्रतिशत रही जो जुलाई में 6.69 प्रतिशत थी. वहीं पिछले साल अगस्त में यह 3.11 प्रतिशत थी.

सब्जी, मसालों, फुटवियर (जूता-चप्पल) और ईंधन तथा प्रकाश श्रेणी में कीमतों में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है.

मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी. मई में यह घटकर 7.04 प्रतिशत तथा जून में 7.01 प्रतिशत पर रही थी. जुलाई में यह घटकर 6.71 प्रतिशत पर आ गयी थी.

रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 28-30 सितंबर को होनी है. लगातार तीन बार में नीतिगत दर में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है.

Related posts

Stock Markets will crash if I lose elections: US President Donald Trump

Devender Mahto

A COMPLETE GUIDE ON HOW TO INVEST IN ELSS FUNDS

Devender Mahto

SOL Makes Another Shot At $44, After Two Failed Attempts This Week

Pooja Wanshi

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More