रामायण की कहानी: माता सीता की अग्नि परीक्षा को लेकर सच्चाई बहुत कम लोग जानते हैं, अग्नि परीक्षा को लेकर कई कहावतें भी बनी हैं.
रामायण की कहानी: पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रभु श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है और एक राजा की तरह श्री राम के लिए अपनी प्रजा के लिए समर्पण सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण था. ऐसे में जब लंबे समय तक रावण की कैद में रहने के बाद माता सीता जब वापस आई तो उन्होंने अग्नि परीक्षा दी थी. हालांकि जब लक्ष्मण को इस बात का पता चला तो लक्ष्मण, राम से खफा हो गए और यहां कि उन्होंने अपने भाई को माता सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरने के लिए विद्रोह करने तक धमकी दे डाली थी. इसके बाद राम ने लक्ष्मण को बताया कि असल में वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि असली सीता को हासिल कर सके. तो क्या आप जानते हैं कि आखिर सीता माता को किन कारणों की वजह से अग्नि से गुजरना पड़ा था.
क्या कहता है पद्म पुराण
पद्म पुराण के अनुसार रामायण में एक नहीं बल्कि दो सीता थी, पहली असली और दूसरी माया की सीता. इसकी कथा के अनुसार एक बार लक्ष्मण जी जब कंदमूल फल लेने वन को गए हुए थे तब प्रभु श्री राम ने माता सीता से कहा कि “अब मैं नर लीला करूंगा और जब तक मैं राक्षसों का विनाश करूंगा तब तक आप अग्नि में निवास करें.” ऐसा कहकर श्री राम ने माता सीता को अग्नि देव को सौंप दिया. इसके बाद असली सीता जी की जगह माया की सीता प्रकट हुईं. इस तरह जब सीता जी का अपहरण हुआ तब वो माया की ही सीता थीं, जब युद्ध समाप्त हो गया और राक्षसों का विनाश हो गया तब भगवान् श्री राम ने माता सीता को अग्नि परीक्षा के लिए कहा और माया की सीता अग्नि कुंड में समा गईं. माया की सीता के अग्नि में समाते ही असली माता सीता अग्नि से बाहर आ गयीं और इस पूरी अग्नि परीक्षा का सिर्फ एक यही कारण था.
सीता माता के प्रतिबिंब का रावण ने किया था हरण
अग्निदेव ने सीता माता को अपने सुरक्षाचक्र में रखकर कुटिया से गायब कर दिया. वहां पर सीता माता के प्रतिबिंब को रखा गया. रावण ने असल में सीता माता का नहीं बल्कि उनके प्रतिबिंब का हरण किया. इसका संकेत इस बात से मिलता है कि जब रावण ने बलपूर्वक सीता को पकड़ कर रथ में बिठाया तो सीता के पतिव्रत धर्म के मुताबिक रावण को जल कर भस्म हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि रावण द्वारा हरी गई सीता असल सीता नहीं बल्कि उसका प्रतिबिंब थी.