KhabriBaba
International

‘भगवान जगन्नाथ का है कोहिनूर’, ब्रिटेन से सबसे खूबसूरत और कीमती हीरे को वापस लाने की मांग फिर हुई तेज

Reading Time: 5 minutes

ओडिशा के एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ने दावा किया है कि कोहिनूर हीरा भगवान जगन्नाथ का है. संगठन ने इसे ब्रिटेन से ऐतिहासिक पुरी मंदिर वापस लाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप करने की मांग की है.

'भगवान जगन्नाथ का है कोहिनूर', ब्रिटेन से सबसे खूबसूरत और कीमती हीरे को वापस लाने की मांग फिर हुई तेज
कोहिनूर

भुवनेश्वर : न कोहिनूर सी चमक किसी की है, न ही कोहिनूर सा बहुमूल्य कोई है. भारत में जब कोई उदाहरण दिया जाता है तो भी कोहिनूर (Kohinoor) का जिक्र आता है. कोहिनूर से जुड़ी कई कहानियां हैं, जिन्हें सुनते हुए कई पीढ़ियां बड़ी हुई हैं. कोहिनूर ब्रिटेन की महारानी के ताज में जड़ा बहुमूल्य रत्न है. यह महारानी के ताज की शोभा बढ़ाता है, लेकिन करोड़ों भारतीय मानते हैं कि इस पर भारत का अधिकार है, क्योंकि अंग्रेज इसे भारत से लेकर गए थे. महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद एक बार फिर कोहिनूर पर भारत के दावे पेश होने लगे हैं.

ओडिशा के एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ने दावा किया है कि कोहिनूर हीरा भगवान जगन्नाथ का है. संगठन ने इसे ब्रिटेन से ऐतिहासिक पुरी मंदिर वापस लाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप करने की मांग की है. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद, उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स महाराजा बन गए हैं और नियमानुसार 105 कैरेट का हीरा उनकी पत्नी डचेस ऑफ कॉर्नवाल कैमिला के पास जाएगा. पुरी स्थित संगठन श्री जगन्नाथ सेना ने राष्ट्रपति को सौंपे एक ज्ञापन में मांग की कि वह कोहिनूर हीरा 12वीं सदी के मंदिर में वापस लाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए हस्तक्षेप करें.

श्री जगन्नाथ सेना के संयोजक प्रियदर्शन पटनायक ने एक ज्ञापन पत्र में कहा, ‘कोहिनूर हीरा श्री जगन्नाथ भगवान का है. अब यह इंग्लैंड की महारानी के पास है. कृपया हमारे प्रधानमंत्री से इसे भारत लाने के लिए कदम उठाने का अनुरोध करें… क्योंकि महाराजा रणजीत सिंह ने इसे अपनी इच्छा से भगवान जगन्नाथ को दान कर दिया था.’ पटनायक ने दावा किया कि पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानिस्तान के नादिर शाह के खिलाफ लड़ाई जीतने के बाद यह हीरा भगवान जगन्नाथ को दान कर दिया था. 

इतिहासकार और शोधकर्ता अनिल धीर ने कहा कि इस हीरे को मंदिर को तुरंत नहीं सौंपा गया था और 1839 में रणजीत सिंह की मौत हो गई और अंग्रेजों ने 10 साल बाद कोहिनूर को उनके बेटे दलीप सिंह से छीन लिया, जबकि वे जानते थे कि यह पुरी में भगवान जगन्नाथ को दान किया जा चुका था. पटनायक ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में महारानी को एक पत्र भी भेजा था, जिसके बाद उन्हें 19 अक्टूबर, 2016 को बकिंघम पैलेस से एक पत्र मिला था, जिसमें उन्हें इस संबंध में सीधे ब्रिटेन सरकार से अपील करने के लिए कहा गया था.

पत्र में लिखा था, ‘महामहिम अपने मंत्रियों की सलाह पर काम करती हैं और हमेशा गैर-राजनीतिक रहती हैं.’ उन्होंने कहा कि उस पत्र की एक प्रति राष्ट्रपति को दिए गए ज्ञापन के साथ संलग्न की गई है. यह पूछे जाने पर कि वह इस मुद्दे पर छह साल तक चुप क्यों रहे, पटनायक ने कहा कि उन्हें इंग्लैंड जाने के लिए वीजा नहीं दिया गया था, जिसके कारण वह ब्रिटेन सरकार के साथ इस मामले को आगे नहीं बढ़ा सके. धीर ने कहा कि श्री जगन्नाथ सेना का दावा जायज है, लेकिन हीरे के महाराजा रणजीत सिंह के वारिस, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे कई अन्य दावेदार भी हैं.

इतिहासकार ने कहा, ‘महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी मौत से पहले अपनी वसीयत में लिखा था कि उन्होंने कोहिनूर हीरा भगवान जगन्नाथ को दान कर दिया है. इस दस्तावेज को ब्रिटेन की सेना के एक अधिकारी ने प्रमाणित किया था, जिसका प्रमाण दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार में है.’ ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) के नेता एवं सांसद भूपिंदर सिंह ने हीरा वापस लाने का मुद्दा 2016 में राज्यसभा में उठाया था. पुरी से विधायक एवं भाजपा नेता जयंत सारंगी ने भी कहा कि वह इस मामले को ओडिशा विधानसभा में उठाएंगे.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कुछ साल पहले एक आरटीआई (सूचना का अधिकार के तहत पूछे गए) प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा था कि कोहिनूर हीरा लगभग 170 साल पहले अंग्रेजों को ‘सौंपा नहीं गया’ था, बल्कि लाहौर के महाराजा ने इसे इंग्लैंड की तत्कालीन महारानी को ‘समर्पित’ किया था. भारत सरकार का इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रुख था कि करीब 20 करोड़ डॉलर की कीमत का हीरा न तो ब्रिटिश शासकों द्वारा चुराया गया था और न ही ‘जबरन’ लिया गया था, बल्कि पंजाब के तत्कालीन शासकों ने इसे ‘ईस्ट इंडिया’ कंपनी को दिया था.

ज्ञात हो कि कोहिनूर को दुनिया के सबसे कीमती रत्नों में से एक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह 14वीं शताब्दी में दक्षिण भारत की कोल्लूर खदान में कोयला खनन के दौरान मिला था.

Related posts

LIVE: पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पेजों की डीपी पर लगाया तिरंगा, देशवासियों से भी ऐसा करने को कहा

Pooja Wanshi

Hong Kong Protesters Descend on Airport, With Plans to Stay for Days

Devender Mahto

सुबह उठकर एक चम्मच खाएं ये एक चीज, मोटापा हो जाएगा एकदम गायब

Pooja Wanshi

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More