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Sulli Deals App : आसान न था सुल्ली ऐप वाले इंदौर के ‘ठाकुर’ तक पहुंचना, एक डिलीट प्रोफाइल ने दे दिया सुराग

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Aumkareshwar Thakur Sulli Deals app creator

नई दिल्ली
इन दिनों बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स ऐप काफी चर्चा में हैं। सुल्ली डील्स मामले में पहली गिरफ्तारी हुई है, लेकिन आरोपी तक पहुंचना इतना आसान नहीं था। अमेरिका में स्थित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने पुलिस को डीटेल शेयर करने से इनकार कर दिया और महीनों तक आरोपी खुद को दुनिया से छिपाए मध्य प्रदेश के एक शहर में आराम से रहा। अचानक ऐसा कुछ हुआ कि एक-एक कर राज खुलने लगे और दिल्ली पुलिस ने रेड कर उसे दबोच लिया। जी हां, आरोपी ओंकारेश्वर ठाकुर को पकड़ने की कहानी फिल्मी रोमांच पैदा करती है।

आरोपी के बारे में जान लीजिए
दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने सुल्ली डील्स ऐप के कथित रूप से क्रिएटर ओंकारेश्वर ठाकुर (26) को इंदौर से गिरफ्तार कर लिया है। डीसीपी (स्पेशल सेल) केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि ठाकुर एक वेब डेवलपर है और उसने BCA किया है। उसके 7-8 ट्विटर हैंडल थे और वह ट्विटर पर एक समूह का हिस्सा था, जिसके 8-12 सदस्य थे।

मकसद मुस्लिम महिलाओं की बदनामी
शुरुआती पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया है कि वह ट्विटर पर उस समूह का सदस्य है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को बदनाम करने और ‘ट्रोल’ के लिए विचारों को साझा किया जाता है। सुल्ली डील्स को पिछले साल जुलाई में GitHub पर रिलीज किया गया था। सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को बिना उनकी मंजूरी के इस मोबाइल ऐप्लीकेशन (ऐप) पर ‘नीलामी’ के लिए डाला गया। दिसंबर में जारी किया गया बुल्ली बाई ऐप भी इसी तरह का सॉफ्टवेयर था।

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गिटहब ने डीटेल देने से किया इनकार
साइबर सेल ने सुल्ली डील्स मामले में 7 जुलाई 2021 को एक एफआईआर दर्ज की थी और उसी दिन गिटहब से यूजर की डीटेल देने के लिए कहा गया था। एक हफ्ते बाद रिमाइंडर भेजा गया। हालांकि इस प्लेटफॉर्म ने डीटेल्स शेयर करने से इनकार कर दिया और कहा कि पुलिस को लीगल चैनल के जरिए संपर्क करना चाहिए।

इसके बाद दिल्ली पुलिस ने MLAT प्रक्रिया शुरू कर दी और फाइल दिल्ली सरकार के गृह विभाग के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई। बाद में MLAT प्रपोजल तैयार किया गया और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस को भेजा गया।

ठाकुर इंदौर में न्यूयॉर्क सिटी टाउनशिप में अपने एक भाई और परिवार के साथ रहता है। उसके पिता एक प्राइवेट कंपनी में सेल्स मैनेजर हैं। परिवार 17 जनवरी को उसके बर्थडे की तैयारी कर रहा था तभी उसका नाम चर्चा में आ गया और वह भी बदनामी लेकर आया। हालांकि ठाकुर के पिता का दावा है कि उसका बेटा निर्दोष है। उसका भाई एक प्रमुख सॉफ्टवेयर कंसल्टेंसी फर्म में काम करता है।

बेटे को इस मामले में फंसाया जा रहा है। मुझे पता चला है कि केवल एक व्यक्ति के बयान के आधार पर मेरे आईटी विशेषज्ञ बेटे को गिरफ्तार कर दिल्ली ले जाया गया है। मेरे बेटे को फंसाया जा रहा है और उसे बदनाम किया जा रहा है।आरोपी के पिता, अखिलेश ठाकुर
पुलिस ने बताया कि यह ‘सुल्ली डील्स’ ऐप मामले में पहली गिरफ्तारी है। अदालत ने ठाकुर को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है। अधिकारी ने बताया, ‘उसने गिटहब पर कोड विकसित किया। गिटहब तक समूह के सभी सदस्यों की पहुंच थी। उसने अपने ट्विटर अकाउंट पर ऐप को साझा किया था। मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को समूह के सदस्यों ने अपलोड किया था।’

बिश्नोई की गिरफ्तारी होती है… और
इसी प्रकार ‘बुल्ली बाई’ मोबाइल ऐप्लिकेशन के मामले में, दिल्ली पुलिस ने एक महिला पत्रकार की तस्वीर में छेड़छाड़ कर उसे वेबसाइट पर अपलोड करने के आरोप में एक जनवरी को अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। दिल्ली पुलिस ने बताया कि असम से गिरफ्तार किया गया नीरज बिश्नोई ‘बुल्ली बाई’ ऐप का कथित सरगना है और उसने इसे बनाया है। बिश्नोई ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि वह ट्विटर हैंडल ‘सुल्ली डील्स’ का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति से भी संपर्क में था, जिसने ‘सुल्ली डील्स’ ऐप को बनाया था।

Sulli Deals Case : मुस्लिम महिलाओं की बदनामी के लिए बनाया ऐप, इंदौर से मास्‍टरमाइंड ओंकारेश्‍वर ठाकुर गिरफ्तार
‘बुल्ली’ से निकला ‘सुल्ली’ का रास्ता
पिछले छह महीने से सुल्ली डील्स ऐप दिल्ली पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था। सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा थी। सनफ्रांसिस्को स्थित फर्म गिटहब ने भी डीटेल नहीं दिया तो पुलिस को कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था। कानूनी प्रक्रिया शुरू थी तभी बुल्ली बाई केस की चर्चा शुरू हुई जो उसी प्लेटफॉर्म पर आया था और इसने सुल्ली डील्स केस में नई लीड दे दी। डीसीपी (स्पेशल सेल) केपीएस मल्होत्रा ने दावा किया कि कथित डेवलपर ओंकारेश्वर ठाकुर ने खुद को छिपाने के लिए काफी उपाय किए थे।

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उसने कई वर्चुअल पहचान बना रखी थी, जिससे ऑनलाइन उसे कोई ढूंढ न सके। हालांकि बुल्ली बाई केस में गिरफ्तार नीरज बिश्नोई से जो सुराग मिला और डीप डेटा एनालिसिस से ठाकुर की पहचान हो गई और उसे गिरफ्तार किया जा सका। ठाकुर और बिश्नोई का कॉमन लिंक ट्विटर ग्रुप ‘ट्रेडमहासभा’ था। ठाकुर ने पिछले साल जनवरी में आईडी @gangescion का इस्तेमाल कर इस ग्रुप को जॉइन किया था। बाद में ठाकुर ने गिटहब पर आईडी @cryptoboiom का इस्तेमाल कर सुल्ली डील्स बनाया। विरोध बढ़ने और एफआईआर पर ठाकुर ने अपने सोशल मीडिया से सारी जानकारी हटा दी और महीनों तक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से गायब रहा। बिश्नोई की गिरफ्तारी हुई तो पूरी कहानी सामने आई।

पुलिस ने बताया कि ठाकुर ने सब कुछ डिलीट कर दिया था तो उसके बारे में कोई सूचना नहीं मिल पा रही थी। सोशल मीडिया इंजीनियरों ने रात दिन एक कर दिया और आर्काइव की रिवर्स ट्रैकिंग शुरू हुई। व्यापक सर्च के दौरान एक डिलीट प्रोफाइल का पता चला। वैसे प्रोफाइल के फ्रंट पर फेक तस्वीर लगी थी लेकिन पुलिस ने एक ग्रुप पिक्चर की पड़ताल की और एक डिलीट ट्विटर हैंडल का पता चला। इससे पुलिस एक आईपी एड्रेस तक पहुंची और लोकेशन इंदौर का मिला और बिना देर किए छापेमारी की गई।

दो अलग-अलग टीमें
दरअसल, सुल्ली डील्स और बुल्ली डील्स दोनों केस की जांच के लिए एसीपी रमन लांबा के निर्देश पर दो अलग-अलग टीमें बनाई गई थीं। एक टीम में इंस्पेक्टर हंसराज और सब-इंस्पेक्टर नीरज और पवन थे जबकि दूसरी टीम में इंस्पेक्टर भानू प्रताप और एएसआई अजीत थे।

एक स्पेशल टीम 8 जनवरी को इंदौर गई और ठाकुर से पूछताछ की गई। उसके टेक गैजेट्स की भी जांच की गई। पूछताछ के दौरान उसने कथिततौर पर सुल्ली डील्स ऐप बनाने की बात कबूल की। उसके लैपटॉप और साइबरस्पेस पर डिजिटल जानकारियों को इकट्ठा किया जा रहा है। डीसीपी ने बताया कि सुल्ली डील्स ऐप से जुड़ी तस्वीरों को भी रिकवर करने की कोशिश की जा रही है।

ट्रेडमहासभा क्या था
जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी ‘एट द रेट गैंगेसियन’ हैंडल का उपयोग करके जनवरी 2020 में ‘ट्रेडमहासभा’ के नाम से ट्विटर पर समूह में शामिल हुआ था। पुलिस ने बताया कि समूह पर विभिन्न प्रकार की चर्चाओं के दौरान सदस्यों ने मुस्लिम महिलाओं को ट्रोल करने को लेकर चर्चा की। डीसीपी ने कहा, ‘उसने (आरोपी ने) स्वीकार किया कि उसने गिटहब पर कोड/ऐप बनाया। सुल्ली डील्स ऐप को लेकर हुए हंगामे के बाद उसने सोशल मीडिया से इससे जुड़ी सभी सामग्री हटा दी थी।’ दिल्ली पुलिस ने बताया कि ऐप से जुड़े कोड/तस्वीरों का पता लगाने के लिए तकनीकी उपकरणों की जांच की जा रही है।

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