KhabriBaba
India

Raksha Bandhan Katha Kahani : ऐसे हुई थी भाई- बहन के पावन त्योहार रक्षाबंधन की शुरुआत, पढ़ें राखी की ये पौराणिक कथा

Reading Time: 3 minutes

इस साल रक्षाबंधन को लेकर संशय की स्थिति बन रही है। ज्योतिष के जानकार पंडित मोहन कुमार दत्त मिश्र कहते हैं कि इसबार दो दिन पूर्णिमा का मान रहने से लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

See the source image

Raksha Bandhan 2022 :  हर साल सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर भाई- बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई को राखी बांधती है और भाई बहन को उपहार देता है और जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन भी देता है।

इस साल रक्षाबंधन को लेकर संशय की स्थिति बन रही है। ज्योतिष के जानकार पंडित मोहन कुमार दत्त मिश्र कहते हैं कि इसबार दो दिन पूर्णिमा का मान रहने से लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। परंतु, भद्रा का त्याग करके ही। निर्णय सिंधु के अनुसार हवाले से वे बताते हैं कि पूर्णिमा को दो भागों में बांटा गया है।

पहला व्रताय पूर्णिया और दूसरा स्नान दान पूर्णिमा। अगर सूर्योदय चतुर्दशी तिथि में हुआ हो। सूर्योदय के बाद पूर्णिमा का मान आरंभ हुआ हो और पूर्णिमा पूरे दिन एवं रात्रि तक रहता है तो वह व्रताय पूर्णिमा कहलाती है। शास्त्रों के अनसुार भद्रा में भुलकर भी रक्षा सूत्र नहीं बांधना चाहिए। भद्रा शनि की बहन हैं। जिस वजह से इस साल 12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाएगा।

रक्षाबंधन से पहले राशि बदलेंगे शुक्र देव, 23 दिन के लिए कर्क राशि में रहेंगे, इन राशियों को राजयोग

 धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व को मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी। सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई को राखी बांधी थी। आइए जानते हैं रक्षाबंधन की पौराणिक कथा…

धार्मिक कथाओं के अनुसार जब राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली थी। राजा ने तीन पग धरती देने के लिए हां बोल दिया था। राजा के हां बोलते ही भगवान विष्णु ने आकार बढ़ा कर लिया है और तीन पग में ही पूरी धरती नाप ली है और राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया।

तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि भगवन मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे।

भगवान विष्णु के राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई। तब नारद  जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया। नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और भगवान विष्णु को मांग लिजिए।

नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास भेष बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं। राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं। राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं। माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया है। ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई- बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता है।

Related posts

FIR against Urdu Poet Munawwar Rana for remarks on France killings

Devender Mahto

Never dreamt of leading Maharashtra, says Uddhav; thanks Sonia

Devender Mahto

Protests in LS over Anurag Thakur’s Nehru-Gandhi remarks

Devender Mahto

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More