एनसीईआरटी ने नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) को लेकर आम लोगों के बीच रायशुमारी का यह अभियान इंटरनेट मीडिया व आनलाइन माध्यम से छेड़ा है। इसमें आम लोगों से व्हाट्सएप फेसबुक ईमेल इंस्ट्राग्राम सिगनल एसएमएस और सरकारी साइट्स के जरिये सवाल पूछे जा रहे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के बाद स्कूली शिक्षा के लिए नए पाठ्यक्रम को तैयार करने की जद्दोजहद चल रही है। हालांकि इससे पहले इसका एक फ्रेमवर्क तैयार किया जाना है, जिसे लेकर एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) आम लोगों की राय जानने में जुटा है। इसे लेकर एनसीइआरटी ने दस सवाल पूछे हैं। इसमें आम लोगों को यह भी बताना होगा कि वह बच्चों को स्कूलों में मातृभाषा में पढ़ाना चाहते हैं, या फिर अंग्रेजी, संस्कृत आदि में। इसके साथ ही स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों से वह कैसी अपेक्षा रखते है। उनके गौरव को कैसा बढ़ाया जा सकता है, आदि।
एनसीईआरटी ने नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) को लेकर आम लोगों के बीच रायशुमारी का यह अभियान इंटरनेट मीडिया व आनलाइन माध्यम से छेड़ा है। इसमें आम लोगों से व्हाट्सएप, फेसबुक, ईमेल, इंस्ट्राग्राम, सिगनल, एसएमएस और सरकारी साइट्स के जरिये सवाल पूछे जा रहे हैं। एनसीईआरटी ने इसके साथ ही आम लोगों से जो और अहम सवाल पूछे हैं, उनमें स्कूलों में किस कक्षा के स्तर पर कौन से विषय वह पढ़ाना चाहते हैं, इनमें तीसरी से पांचवीं कक्षा के स्तर पर जिन विषयों का विकल्प दिया गया है, उनमें भाषाएं, पर्यावरण अध्ययन, गणित, सामाजिक विज्ञान, कला, शिल्प, खेल, योग व स्वास्थ्य आदि शामिल है।
एक अन्य सवाल में पूछा गया कि अपनी शिक्षा को भविष्य की जरूरतों और कौशल उन्मुख बनाने के लिए हमें क्या करने की आवश्यकता है? इसके जो विकल्प दिए गए, उनमें स्कूलों में व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ाना देना, छात्रों में समस्या समाधान की क्षमता को विकसित करें, बहु-कौशल वाले छात्रों को स्कूल-समुदाय और उद्योग के साथ जोड़कर अनुभव प्रदान किया जाए आदि शामिल है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तैयार करने में देश भर से रायशुमारी कराई गई थी। इस दौरान दो लाख से ज्यादा सुझाव आए थे।