पिछले दिनों से जारी तनाव और विवाद के बीच बुधवार की सुबह आखिरकार कर्नाटक के हुबली मैदान में स्थापित हुए गणपति, कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब तीन दिनों तक होगी गणेश की विधिवत पूजा.
Ganesh Chaturthi 2022: कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के बाद बुधवार की सुबह हुबली के ईदगाह मैदान में आखिरकार गणपति की स्थापना कर दी गई है. हाई कोर्ट ने मंगलवार की देर रात सुनवाई के दौरान गणेश चतुर्थी के जश्न की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि ईदगाह वाली जमीन पर कोई विवाद नहीं है. सरकार की दलील को दरकिनार करते हुए कोर्ट ने इसे नकार दिया है.
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने दोनों पक्षों की ओर से यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था और इस विवाद को लेकर दोनों पक्षों को कर्नाटक हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया था. इसके बाद मंगलवार की देर रात हाई कोर्ट ने ईदगाह मैदान में गणपति स्थापना की अनुमति दे दी, जिसके बाद बुधवार की सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच गणपति की स्थापना की गई है.
तनाव और विवाद के बीच स्थापित हुए गणपति
अदालत ने अंजुमन-ए-इस्लाम द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया और ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति देने के अधिकारियों के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. कल रात उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सुबह से ही तैयारी होती देखी जा सकती थी और गणपति की मूर्ति स्थापित की गई है.
विधिवत होगी गणेश चतुर्थी की पूजा
एएनआई से बात करते हुए, पूजा के संयोजक, रानी चेन्नम्मा मैदान गजानन उत्सव महामंडल, के गोवर्धन राव ने कहा कि भगवान की प्रार्थना अगले तीन दिनों तक पारंपरिक तरीके से की जाएगी. साथ ही राव ने कहा, “पूजा पारंपरिक तरीके से आयोजित की जाएगी और हम नगर निगम के निर्देश के अनुसार इस त्योहार को 3 दिनों तक मनाने जा रहे हैं. हम सभी निर्देशों का पालन करने जा रहे हैं.”
राव ने कहा, “रानी चेन्नम्मा मैदान नगर निगम का है, इसलिए हमने समिति महामंडल की ओर से अनुरोध किया था कि इस गणपति उत्सव को यहां अनुमति दी जानी चाहिए. हम आधे घंटे के भीतर गणपति की मूर्ति स्थापित कर देंगे.”
ये था विवाद, कोर्ट ने दिया फैसला
देर रात सुनवाई में कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अशोक एस किनागी ने अंजुमन-ए-इस्लाम द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया और हुबली के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति देने के अधिकारियों के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
अदालत ने कहा कि विवाद का आधार प्रतिवादी अधिकारियों का है और वे वहां नियमित गतिविधियां कर रहे हैं. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत की प्रार्थना योग्यता के योग्य नहीं है और इसे खारिज किया जाता है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश का लाभ पाने का हकदार नहीं है. कुछ हिंदू संगठनों ने उक्त संपत्ति पर गणेश मूर्तियों को स्थापित करने और सांस्कृतिक गतिविधियों को आयोजित करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया था. जिसके बाद धारवाड़ नगर आयुक्त ने कुछ शर्तों के तहत गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने की अनुमति दी थी. इसके बाद अधिकारियों के फैसले को अंजुमन-ए-इस्लाम ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.