न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक दीपिका ने कहा कि वो अपनी सक्सेस और उस वक्त से उबरने का पूरा श्रेय अपनी मां को देती हैं, जिन्होंने उनका दर्द समझा और उन्हें इससे बाहर निकाला।
बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) न सिर्फ डिप्रेशन (Depression)से जूझ चुकी हैं, बल्कि एक वक्त पर उन्हें सुसाइडल थॉट्स भी आते थे। ऐसे में अब गुरुवार को एक बार फिर दीपिका ने इस बारे में खुलकर बात की। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक दीपिका ने कहा कि वो अपनी सक्सेस और उस वक्त से उबरने का पूरा श्रेय अपनी मां को देती हैं, जिन्होंने उनका दर्द समझा और उन्हें इससे बाहर निकाला।
सब कुछ अच्छा चल रहा था…
दीपिका ने कहा, ‘मैं अपने करियर के टॉप पर थी और सब कुछ ठीक चल रहा था, इसलिए कोई कारण नहीं था या कोई स्पष्ट कारण नहीं था कि मुझे वैसा महसूस करना चाहिए था, जैसा मैं करती थी। ऐसे दिन थे जब मैं जागना नहीं चाहती थी, मैं सोती थी क्योंकि मेरे लिए नींद एक भागने का जरिया थी, मुझे कई बार आत्महत्या करने के विचार भी आते थे।’ दीपिका ने आगे अपने पैरेंट्स का भी जिक्र किया।
ऐसा दिखाती थी जैसे सब बढ़िया है…
अपने कठिन समय के दौरान करीबियों के बचाव में आने के बारे में आगे बताते हुए दीपिका ने कहा, “मेरे माता-पिता बेंगलुरु में रहते हैं और हर बार, पहले भी आज भी.. मैं ऐसे दिखाती हूं कि सब कुछ एक दम बढ़िया है। आप हमेशा यही दिखाना चाहते हैं अपने पैरेंट्स को सब ठीक है, कोई दिक्कत नहीं है। मैं तब भी वैसा ही कर रही थी लेकिन एक दिन जब वो बेंगलुरु वापस जा रहे थे तब मैं टूट गई और रो पड़ी। इसके बाद मां ने मुझे बहुत ही आम से सवाल पूछे- क्या ब्वॉयफ्रेंड की वजह से? क्या काम की वजह से? कुछ हुआ है क्या?’
भगवान ने उन्हें मेरे लिए भेजा…
दीपिका आगे कहती हैं,’मेरे पास जवाब नहीं होते थे क्योंकि ऐसा कुछ भी हुआ ही नहीं था, बस सब कुछ खाली सा था और वो समझ गई थीं। मुझे लगता है कि मेरे लिए उन्हें भगवान ने ही भेजा था।’ बता दें कि दीपिका एक एनजीओ चलाती हैं जो उन लोगों की मदद करता है, जो डिप्रेशन, तनाव आदि से जूझ रहे हैं। ‘लिव लव लाफ’के बारे में बात करते हुए दीपिका ने कहा, ‘ये (डिप्रेशन) सबसे बड़ी वजह है कि मैंने इस फाउंडेशन को बनाया, और इसके माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही हूं।’
दीपिका पादुकोण का मिशन
दीपिका ने कैसे खुद को डिप्रेशन से उबारा, इस बारे में एक्ट्रेस कहती हैं, ‘मुझे प्रोफेशनल की मदद चाहिए थी, और फिर मेरा सफर शुरू हुआ। मैं मनोचिकित्सक से मिली, मेडिकेशन हुई। शुरुआती वक्त में मुझे ये सब पसंद नहीं आता था क्योंकि मेंटल इलनेस को काफी अलग नजर से देखा जाता है लेकिन कुछ वक्त के बाद मुझे अच्छा महसूस होने लगा। ‘ दीपिका ने आखिरी में कहा कि वो इस मिशन पर हैं कि मेंटल इलनेस की वजह से किसी की भी जान न जाए।