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Air Asia: एयर एशिया इंडिया के 2600 करोड़ के नुकसान की इस तरह भरपाई करने जा रही है टाटा

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एक ऑडिटर की रिपोर्ट में एयर एशिया इंडिया के कारोबार पर चिंताएं जाहिर की गई है. कहा गया है कि एयर एशिया इंडिया का नेटवर्थ कम हो रहा है और इसकी मौजूदा संपत्तियों से इसकी देनदारी ऊपर चली गई है. एयर एशिया इंडिया को भारत में कारोबार में नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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एयर एशिया इंडिया के मर्जर के मामले में अतिरिक्त प्रोविजनिंग टाटा संस के फाइनेंस स्टेटमेंट में दर्ज किया जा सकता है.

नई दिल्ली: एयर एशिया इंडिया को भारत में कारोबार में नुकसान उठाना पड़ रहा है और इसकी भरपाई के लिए टाटा संस 2600 करोड़ रुपए का प्रोविजन कर सकती है. टाटा संस ने प्रस्ताव किया है कि एयर एशिया इंडिया को एयर इंडिया के साथ मर्ज कर दिया जाए. इसके साथ ही एयर इंडिया एक्सप्रेस को भी एयर इंडिया में मर्ज करने की योजना बनाई जा रही है. इस मामले से जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी है. एक ऑडिटर की रिपोर्ट में एयर एशिया इंडिया के कारोबार पर चिंताएं जाहिर की गई है. कहा गया है कि एयर एशिया इंडिया का नेटवर्थ कम हो रहा है और इसकी मौजूदा संपत्तियों से इसकी देनदारी ऊपर चली गई है.

टाटा के मालिकाना हक वाली एयर इंडिया ने एयर एशिया की सारी खरीदने का फैसला किया है. एयर इंडिया ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से इसकी मंजूरी मांगी है. टाटा संस की एयर एशिया इंडिया में 83.67 फीसदी हिस्सेदारी है. एयर एशिया इंडिया की बाकी 16.33% हिस्सेदारी एयर एशिया इनवेस्टमेंट लिमिटेड के पास है जो मलेशिया के एयर एशिया ग्रुप की कंपनी है.

सिविल कारोबार में नुकसान उठा रहे एयर एशिया इंडिया को कोरोनावायरस के दौर में भारी नुकसान उठाना पड़ा है. टाटा संस ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन इस मामले से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक अभी यह साफ नहीं है कि एयर एशिया इंडिया के 2600 करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई को टाटा संस के बैलेंस शीट में जोड़ा जाएगा, या यह एयर इंडिया के बैलेंस शीट में जुड़ेगा.

इस बारे में कानूनी विशेषज्ञों ने कहा, “अगर किसी कारोबारी समूह की दो कंपनियों का आपस में विलय किया जाता है तो इससे संबंधित नियमों के हिसाब से ही रकम को राइट ऑफ किया जा सकता है. एयर एशिया इंडिया का एयर इंडिया एक्सप्रेस में मर्जर कर देने पर अगर किसी कंपनी की देनदारी उसकी संपत्तियों से अधिक है तो कारोबारी समूह को उसके लिए प्रोविजनिंग करनी पड़ती है.”

एक्सपर्ट ने कहा कि यह एकाउंटिंग के मौजूदा नियमों के हिसाब से किया जा सकता है. एयर एशिया इंडिया के मर्जर के मामले में अतिरिक्त प्रोविजनिंग टाटा संस के फाइनेंस स्टेटमेंट में दर्ज किया जा सकता है.

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