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राजनीतिक गलियारों में ‘गूंज रही’ संजय राउत की गिरफ्तारी पर शरद पवार की ‘चुप्पी’, क्या है इसके मायने?

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हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस असामान्य घटना को लेकर पार्टी के नेता बंटे हुए हैं. राकांपा नेताओं के एक वर्ग का मानना ​​है कि पवार स्थिति को देख रहे हैं और सही समय पर बोलेंगे, जबकि कुछ अन्य लोगों ने कहा कि वह गांधी परिवार के खिलाफ ईडी की कार्रवाई की पृष्ठभूमि में सावधानी से चल रहे हैं.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के साथ शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत. (File Photo)

मुंबईः शिवसेना नेता संजय राउत को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए चार दिन हो चुके हैं, लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार असामान्य रूप से शांत हैं और उन्होंने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. इस मुद्दे पर पवार की चुप्पी की राजनीतिक हलकों में चर्चा है, क्योंकि उनका हमेशा यह स्टैंड रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है.

हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस असामान्य घटना को लेकर पार्टी के नेता बंटे हुए हैं. राकांपा नेताओं के एक वर्ग का मानना ​​है कि पवार स्थिति को देख रहे हैं और सही समय पर बोलेंगे, जबकि कुछ अन्य लोगों ने कहा कि वह गांधी परिवार के खिलाफ ईडी की कार्रवाई की पृष्ठभूमि में सावधानी से चल रहे हैं.

शरद पवार की चुप्पी ने इन अटकलों को भी जन्म दिया है कि राकांपा भाजपा के साथ हाथ मिला सकती है, क्योंकि पार्टी में एक गुट हमेशा से यह चाहता था. विशेष रूप से 2014 में, राकांपा ने राज्य में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को स्थिर रखने के लिए अवांछित समर्थन की घोषणा की थी. हालांकि, शरद पवार ने 4 महीने पहले ईडी की कार्रवाई के खिलाफ शिकायत करने के लिए प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, जब केंद्रीय एजेंसी ने संजय राउत और उनके परिवार के सदस्यों की मुंबई में संपत्तियों को कुर्क किया था.

एनसीपी चीफ शरद पवार को पता था संजय राउत के साथ क्या होने वाला है?

हिन्दुस्तान टाइम्स ने राकांपा के एक अंदरूनी सूत्र के हवाले से लिखा है, ‘शरद पवार ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान कहा था कि विपक्षी नेताओं को राजनीतिक प्रतिशोध की वजह से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए. इस पर, प्रधानमंत्री ने जवाब दिया था कि किसी को बेवजह निशाना नहीं बनाया जाएगा, लेकिन कानून अपना काम करेगा. अगर किसी ने कुछ अवैध किया है तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. पवार ने राउत से यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने यही कहा है और उन्हें (संजय राउत) कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. इसका मतलब है कि उन्हें पता था कि संजय राउत के साथ क्या होने वाला है.’

राकांपा के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि संजय राउत की गिरफ्तारी पर पार्टी नेताओं ने पहले ही स्टैंड ले लिया है. उन्होंने कहा, ‘वह शरद पवार ही थे जो सीधे पीएम मोदी से मिलने गए और शिकायत की कि केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए एक विपक्षी सांसद को परेशान किया जा रहा है.

राउत की गिरफ्तारी के बाद से मेरे सहित महाराष्ट्र में कई एनसीपी नेताओं ने खुलकर अपनी राय रखी है. हम अब भी मानते हैं कि ईडी की कार्रवाई संजय राउत की आवाज को दबाने के लिए है, जो भाजपा के बड़े आलोचक हैं.’

PM से मुलाकात के पवार ने उठा चुके हैं केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का मुद्दा

संसद में 6 अप्रैल को, प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के बाद, शरद पवार ने कहा था कि उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों द्वारा संजय राउत को निशाना बनाने का मुद्दा उठाया. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पीएम से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में कहा था, ‘संजय राउत के खिलाफ किस आधार पर कार्रवाई की गई? यह अन्याय है. वजह क्या थी? सिर्फ इसलिए कि वह कुछ बयान दे रहे हैं और आलोचना का मतलब यह नहीं है कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. क्या जरूरत थी?’

एक अन्य राकांपा नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, ‘शरद पवार जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाते हैं और किसी मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए समय लेते हैं. इस बार भी वह ऐसा ही कर रहे हैं.’ राकांपा के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, ‘इस बात की संभावना हो सकती है कि वह गांधी परिवार के खिलाफ ईडी की कार्रवाई देख रहे हों और युद्ध के मैदान में आने से पहले अपनी योजना बनाने में व्यस्त हों. क्योंकि ऐसी अटकलें हैं कि उनमें से एक को गिरफ्तार किया जा सकता है.’

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