पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा के आईएमएफ़ से कर्ज़ के लिए अमेरिकी मदद मांगने की ख़बरें आने के बाद विवाद हो गया है.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इसे लेकर सेना प्रमुख और सरकार पर निशाना साधाते हुए कहा कि सेना प्रमुख का ऐसा करना देश को कमज़ोर कर रहा है.
पाकिस्तान के एक टीवी चैनल एआरवाई न्यूज़ पर शुक्रवार को प्रसारित एक साक्षात्कर में इमरान ख़ान से जनरल बाजवा की अमेरिकी उप विदेशी मंत्री वेंडी शरमन से संपर्क करने को लेकर सवाल किया गया था.
इस सवाल पर जवाब देते हुए इमरान ख़ान ने मुस्कुराते हुए पूछा कि जब अमेरिका मदद करेगा, तो क्या वह बदले में कुछ नहीं मांगेगा.
इमरान ख़ान ने कहा कि इससे पता चलता है कि देश में कोई भी मौजूदा सरकार पर भरोसा नहीं करता है. ना आईएमएफ़ और ना ही देश के बाहर किसी को उन पर भरोसा है. ऐसी स्थिति में सेना प्रमुख ने इस ज़िम्मेदारी को निभाया है.
उन्होंने अपनी सरकार की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस नीति में देश की सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक सुरक्षा पर भी ज़ोर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि अगर जनरल बाजवा ने अमेरिकी अधिकारियों से बात की है तो इसका मतलब है कि पाकिस्तान आर्थिक रूप से कमज़ोर हो रहा है. उन्होंने कहा कि ये सेना प्रमुख का काम नहीं है और देश इस तरह कमज़ोर होता रहा तो आप क्या सोचते हैं कि अमेरिका हमारी मदद और बदले में कुछ नहीं मांगेगा.
इमरान ख़ान ने पूछा, ”आपको क्या लगता है कि अमेरिका क्या मांगेगा.?”
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से जिस तरह की मांग की जाती है, अगर वो इस हद तक चले गए तो पाकिस्तान की सुरक्षा कमज़ोर हो जाएगी. इसे लेकर उन्होंने पाकिस्तान की गठबंधन सरकार के प्रदर्शन पर निराशा व्यक्त की और कहा कि देश के मौजूदा आर्थिक संकट से निकलने का एकमात्र रास्ता स्वच्छ और पारदर्शी आम चुनाव है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव के बाद पांच साल के लिए ऐसी सरकार बनेगी जो देश में राजनीतिक स्थिरता लाएगी और अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाने में मदद करेगी.
पंजाब प्रांत की 20 विधानसभा सीटों पर हाल में हुए उपचुनावों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तमाम मुश्किलों के बावजूद जनता ने तहरीक-ए-इंसाफ के पक्ष में इतनी बड़ी संख्या में वोट दिए हैं.
जनरल बाजवा को लेकर ख़बरें
शुक्रवार को इस तरह की ख़बरें थीं कि सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने आईएमएफ़ से जल्द वित्तीय मदद मिलने को लेकर वेंडी शरमन से संपर्क किया है.
इसके बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जनरल बाजवा और वेंडी शरमन के बीच हुई बातचीत की ख़बर की पुष्टि की है लेकिन क्या बात हुई है इसकी जानकारी नहीं दी है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इफ़्तिखार अहमद ने साप्ताहिक ब्रीफ़िंग में कहा कि मंत्रालय को इस बात की जानकारी नहीं है कि जनरल बाजवा ने वेंडी शरमन के साथ पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर चर्चा की है या नहीं.
उन्होंने कहा कि ”सेना का जनसंपर्क विभाग, आईएसपीआर इस पर बयान देगा.” हालांकि, आईएसपीआर ने इस लेकर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है.
पाकिस्तान की समाचार एजेंसी एपीपी के मुताबिक जनरल बाजवा ने ”पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करने के लिए आईएमएफ़ से जल्दी लोन मिलने को लेकर अमेरिकी मदद के लिए संपर्क किया है.”
इस ख़बर में सुरक्षा सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि ”इस हफ़्ते की शुरुआत में सेना प्रमुख ने वेंडी शरमन से फ़ोन पर बात की थी.” इसमें हो रही देरी के चलते सेना प्रमुख को अमेरिका को इस ओर ध्यान दिलाना पड़ा.
पाकिस्तान बिगड़ते आर्थिक हालात के बीच लंबे समय से आईएमएफ़ की वित्तीय मदद के लिए कोशिश कर रहा है और इसके लिए कई शर्तों को भी पूरा किया गया है. इस वित्तीय मदद के तहत आईएमएफ़ से पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर का कर्ज़ दिया जाना है.
वित्तीय मदद को लेकर पाकिस्तान का आईएमएफ़ के साथ स्टाफ़ लेवल का समझौता हो गया है लेकिन अभी पूरी तरह मंज़ूरी नहीं मिली है.
आईएमएफ़ में कार्यकारी स्तर की बैठक में पाकिस्तान को कर्ज़ दिए जाने को लेकर अंतिम फ़ैसला लिया जाएगा. ऐसे में ये समझौता अगस्त तक टल गया है.
आईएमएफ़ का कर्ज़ क्यों ज़रूरी
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बात सरहद पार
समाप्त
पाकिस्तान इस समय जिन ख़राब वित्तीय हालात से गुज़र रहा है उसमें देश को बाहर से वित्तीय मदद की सख़्त ज़रूरत है.
पाकिस्तान रुपये की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर पर है और महंगाई आसमान छू रही है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार इस समय 9.3 अरब डॉलर है जो अगले चार-पांच हफ़्तों के लिए भी नाकाफ़ी है.
पाकिस्तान के ही मंत्री देश के डिफ़ॉल्ट होने को लेकर आगाह कर चुके हैं. स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान के कार्यकारी गवर्नर डॉक्टर मुर्तजा सैयद ने हाल ही में बताया था कि पाकिस्तान पर इस समय जीडीपी का 70 प्रतिशत कर्ज बाकी है.
ऐसे में पाकिस्तान के लिए आईएमएफ़ से मिलने वाला कर्ज़ बहुत अहम जाता है ताकि देश में पैसा आ सके.
इसे लेकर कार्यकारी गवर्नर ने कहा था, “इस साल का बजट थोड़ा टाइट होगा लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं. सबसे ज़रूरी ये है कि अगले 12 महीने जिन देशों के पास आईएमएफ़ प्रोग्राम होंगे वो बचे रहेंगे और जिनके पास नहीं होगा वो बहुत दबाव में होंगे. घाना, ज़ाम्बिया, ट्यूनीशिया और अंगोला के पास आईएमएफ़ प्रोग्राम नहीं है.”
मुर्तजा सैयद ने कहा था, “आईएमएफ़ के साथ स्टाफ़ स्तर का समझौता भी छोटी बात नहीं है. ये एक बड़ी उपलब्धि है. इसका मतलब है कि आईएमएफ़ के स्टाफ़ को लगता है कि इस प्रोग्राम के लिए हमने जो करना था, वो कर लिया है. इसके बाद अगर आप अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करें तो बोर्ड में जाकर आपको काफ़ी आसानी होती है. उसके बाद हमें पैसे मिल जाएंगे. दुनिया देख लेगी कि पाकिस्तान ट्रैक पर है.”
वहीं, डिप्टी गवर्नर इनायत हुसैन ने कहा था कि आईएमएफ़ के प्रोग्राम को अनुमति मिलने के बाद पैसे का फ्लो होने लगेगा. कुछ बहुपक्षीय एजेंसियां भी हैं, वहां से पैसा भी आ जाएगा. हमारा आकलन ये है कि पाकिस्तान की अगले साल की वित्तीय ज़रूरतें हम आसानी से पूरी कर लेंगे. इसके बाद बजट भी बढ़ जाएगा.