महत्वपूर्ण सेमी-फाइनल से पहले भारत को एम एस धोनी के लिये एक स्थायी समाधान ढूंढने की ज़रूरत है, तय करना होगा कि उन्हें किस पोज़ीशन पर बल्लेबाज़ी करनी चाहिये, उनके खेलने का तरीका क्या होना चाहिये, हरीश कोटियन का कहना है।
फोटो: सेमी-फाइनल से पहले कप्तान विराट कोहली और हेड कोच रवि शास्त्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी महेंद्र सिंह धोनी का सही तरीके से इस्तेमाल करना। फोटोग्राफ: नेथन स्टर्क/गेटी इमेजेज़
एक मैच हाथ में बचाये रखते हुए सेमी-फाइनल में पहुंच जाने के बावजूद विश्व कप में भारत के हाल के प्रदर्शन पर सवाल उठाये जा सकते हैं।
विराट कोहली और उनके लड़कों को पता है कि उनके पास सेमी-फाइनल से पहले अपनी टीम को सही ढर्रे पर लाने के लिये श्री लंका के ख़िलाफ़ सिर्फ एक लीग गेम बचा है, और इंग्लैंड या न्यू ज़ीलैंड के ख़िलाफ़ सेमी-फाइनल आसान नहीं होगा।
भारत की बल्लेबाज़ी, ख़ास तौर पर मध्य क्रम एक चिंता का विषय है। ठीक एक महीने पहले दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ आसान जीत दर्ज करके प्रतियोगिता की मज़बूत शुरुआत करने वाली भारतीय टीम के लिये चीज़ें बद से बदतर होती जा रही हैं।
बल्लेबाज़ी के क्रम में नं. 1 पोज़ीशन भारतीय विशेषज्ञों के लिये एक प्रश्नचिह्न बन गया है, जहाँ कई बल्लेबाज़ों को आज़माया गया है, लेकिन कोई भी सही नतीजे नहीं दे पा रहा है।
विश्व कप में कदम रखने के बाद सबसे पहले भारत ने नं 4 की ज़िम्मेदारी के एल राहुल को सौंपी। राहुल ने उस पोज़ीशन पर सिर्फ एक पारी खेली, जिसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ 26 रन बनाये, जिसके बाद शिखर धवन को चोट लगने के कारण उन्हें ओपनिंग बल्लेबाज़ बना दिया गया।
ऑस्ट्रेलिया और पाक़िस्तान के ख़िलाफ़ दो मैचों में यह पोज़ीशन हार्दिक पंड्या के हवाले कर दी गयी। भारत को तेज़ रनों की ज़रूरत होने की स्थिति में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 27 गेंदों में 48 और पाक़िस्तान के ख़िलाफ़ 19 गेंदों में 26 रन बनाये।
जबकि नं 4 के लिये पहली पसंद, विजय शंकर ने अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ 42 गेंदों में 29 और वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ 19 गेंदों में 14 रनों की कमज़ोर पारियाँ खेलीं, जिसके बाद एक चोट के कारण वह टूर्नामेंट से बाहर हो गये।
इसके बाद भारत ने इंग्लैंड और बांग्लादेश के ख़िलाफ़ धवन की जगह टीम में शामिल होने वाले ऋषभ पंत को नं 4 पर आज़माया। इस युवा खिलाड़ी ने 32 और 48 के स्कोर के साथ अपने पहले विश्व कप में ठीक-ठाक प्रदर्शन दिखाया।
भारत के लिये इससे भी बड़ी समस्या है नं 4 के बाद आने वाले बल्लेबाज़।
महेंद्र सिंह धोनी को ख़राब बल्लेबाज़ी के कारण टीका-टिप्पणियों और आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि उन्होंने रन तो बनाये हैं — 7 पारियों में 223 रन — लेकिन धोनी के 93.30 के स्ट्राइक रेट पर सवाल उठ रहे हैं।
रविवार, जुलाई 7 को 38 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले धोनी स्पिनर्स के ख़िलाफ़ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे, ख़ास तौर पर जब बीच के ओवर्स में स्ट्राइक रोटेट करने की बात हो। उन्हें अंतिम ओवर्स में बाउंड्रीज़ भी नहीं मिल पा रही हैं।
2019 विश्व कप में धोनी:
Vs | Venue | Runs | Balls | S/R | Dot Balls | Ones | Twos | Threes | Fours | Sixes | Dot % |
South Africa | Southampton | 34 | 46 | 73.91 | 22 | 18 | 4 | 0 | 2 | 0 | 47.82 |
Australia | The Oval | 27 | 14 | 192.85 | 4 | 3 | 3 | 0 | 3 | 1 | 28.57 |
Pakistan | Manchester | 1 | 2 | 50 | 1 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 50 |
Afghanistan | Southampton | 28 | 52 | 53.84 | 33 | 16 | 0 | 0 | 3 | 0 | 63.46 |
West Indies | Manchester | 56 | 61 | 91.8 | 28 | 24 | 4 | 0 | 3 | 2 | 45.9 |
England | Birmingham | 42 | 31 | 135.48 | 7 | 18 | 1 | 0 | 4 | 1 | 22.58 |
Bangladesh | Birmingham | 35 | 33 | 106.06 | 14 | 12 | 2 | 1 | 4 | 0 | 42.42 |
223 | 239 | 109 | 92 | 14 | 1 | 19 | 4 |
आँकड़े: रजनीश गुप्ता
अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ उनकी 52 गेंदों में 28 रन की मुश्किल पारी में विकेट पर लगभग 20 ओवर बिताने के बाद भी धोनी अफ़ग़ान स्पिनर्स के आगे घुटने टेकते नज़र आये।
इस पारी में उन्होंने लगभग 63 प्रतिशत गेंदों पर कोई रन नहीं बनाये — यानि कि कुल 33 खाली गेंदें। उनकी पारी में सिर्फ 16 सिंगल्स और तीन चौके शामिल थे।
इंडिया टुडे टेलीविज़न चैनल से बात करते हुए सचिन तेंदुल्कर ने ‘थोड़ी निराशा’ जताई और कहा उन्हें इससे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। मैं केदार (जाधव) और धोनी की साझेदारी से ख़ुश नहीं था, जो बहुत ही धीमी थी।
‘हमने 34 ओवर स्पिन गेंदबाजी का सामना किया और 119 रन बनाये। यहीं पर हमारी मुश्किल दिखाई देती है। टीम का रवैया सकारात्मक नहीं था।,’ तेंदुल्कर ने कहा।
जब 31 गेंदों में 71 रनों की ज़रूरत होने पर धोनी और जाधव ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ रनों का पीछा करने में हार मान ली, तो सौरव गांगुली के पास कहने के लिये शब्द नहीं थे।
‘ये सिंगल्स मेरी समझ से बाहर हैं… आप 338 रनों का पीछा करते हुए 5 विकेट कैसे बचा सकते हैं? यह आपकी मानसिकता और खेल को देखने के आपके नज़रिये की झलक देता है। आपको बस एक बात सोचनी चाहिये थी: गेंद कहीं भी आये और कहीं भी गिरे, आपको बस बाउंड्री की तलाश होनी चाहिये,’ गांगुली ने कमेंट्री बॉक्स से कहा।
बांग्लादेश के ख़िलाफ़ धोनी फिर लड़खड़ाते दिखाई दिये, लेकिन अंत में दो चौके लगा कर उन्होंने अपनी स्ट्राइक रेट को बचा लिया, और 33 गेंदों में 35 रनों के साथ पारी ख़त्म की। उन्होंने 39वें ओवर से लेकर खेल के आखिरी ओवर तक बल्लेबाज़ी की।
एक बार फिर धोनी की खाली गेंदों का प्रतिशत 42 था — यानि कि 35 गेंदों में से 14 गेंदों पर कोई रन नहीं बने।
सेमी-फाइनल से पहले कप्तान विराट कोहली और हेड कोच रवि शास्त्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी महेंद्र सिंह धोनी का सही तरीके से इस्तेमाल करना।
कोहली और शास्त्री ने इशारा दिया है कि वे बीच के ओवर्स में रनों की रफ़्तार गिराना नहीं चाहते। उन्होंने इंग्लैंड और बांग्लादेश के ख़िलाफ़ पंत को नं. 4 पर भेजा। जब आखिरी ओवर्स में तेज़ रनों की ज़रूरत थी, तो पंड्या को भी धोनी से पहले भेजा गया।
अगर बीच के ओवर्स में धोनी न धमाका करते हैं और न ही स्ट्राइक रोटेट करते हैं, तो टीम मैनेजमेंट के लिये इस अनुभवी खिलाड़ी की पोज़ीशन तय करना एक सिरदर्द होगा। लेकिन धोनी के विकेट-कीपिंग हुनर का अभी भी कोई तोड़ नहीं है।
धोनी सीमित ओवर्स की क्रिकेट खेलने वाले महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं, लेकिन खेल के छोटे फॉर्मैट्स के सबसे सफल कप्तान पर अब उनकी उम्र हावी होती दिखाई दे रही है।
धोनी को बाहर करने का सवाल तो अभी भी सामने नहीं आया है, लेकिन हर कोई इस महान खिलाड़ी के बल्ले का पुराना जादू ज़रूर देखना चाह रहा है।
विरोधी टीमों ने उनकी बल्लेबाज़ी को समझ लिया है और सभी अपने पेसर्स को ऑफ़-स्टंप के बाहर फुल गेंदें डालने के लिये कह रहे हैं।
यह धोनी के धमाकेदार खेल को कमज़ोर कर देता है, क्योंकि वो ज़्यादातर लेग साइड पर खेलना पसंद करते हैं।
भारत के विरोधी धोनी के आने पर स्पिनर्स को भी गेंद थमाने लगे हैं। उन्हें पता है कि आज कल धोनी स्पिन के आगे लड़खड़ा रहे हैं और स्ट्राइक रोटेट करने या बड़ी हिट्स खेलने में असफल रहे हैं।
शनिवार को श्रीलंका के विरुद्ध मैच भारत के लिये अगले हफ़्ते के अहम् सेमी-फाइनल के लिये टीम में सही ताल-मेल बैठाने का आखिरी मौका होगा।
भारत को एम एस धोनी के लिये एक स्थायी समाधान ढूंढने की ज़रूरत है, तय करना होगा कि उन्हें किस पोज़ीशन पर बल्लेबाज़ी करनी चाहिये, उनके खेलने का तरीका क्या होना चाहिये।
आपके अनुसार भारत को धोनी के लिये क्या फैसला लेना चाहिये?
क्या उन्हें नं 4 पर बल्लेबाज़ी के लिये भेज कर पारी आगे बढ़ाने का मौका देना चाहिये?
या उन्हें आखिरी ओवर्स में भेज कर धमाका करने के लिये कहना चाहिये?
कृपया नीचे मेसेज बोर्ड में पोस्ट करके हमें अपने विचार ज़रूर बतायें: